वैदिक कालीन शिक्षा प्रणाली व वर्तमान शिक्षक शिक्षा प्रणाली का तुलनात्मक अध्ययन

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वर्तमान शिक्षा प्रकृति से दूर होती जा रही है जिसमें भौतिक संसाधनों तो पर्याप्त हैं किन्तु मानवीय संसाधनों का अभाव होता जा रहा है। तकनीकी शिक्षा ने जहां वैश्विक उन्नति में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है, वहीं मानवीय मूल्यों को गौण करने में अपनी अभूतपूर्व भूमिका निभाई है।
वैदिक कालीन शिक्षा प्रणाली में गुरूकुल अथवा आश्रम व्यवस्था प्रचलित थी जिसमें बालक अपने घर से दूर गुरू के सानिध्य में रहते हुये शिक्षा प्राप्त करता था। गुरूकुलकालीन व्यवस्था में भौतिक साधनों का अभाव होता था एवं प्रकृति के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त की जाती थी। जिसमें गुरू को ईश्वर तुल्य माना जाता था। गुरू प्रत्यक्ष रूप से ज्ञात का स्त्रोत होता था जो अपने व्याख्यान के माध्यम से बालक की सम्पूर्ण जिज्ञासाओं को शान्त करने का प्रयास करता था।

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