
कोटा विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रशिक्षणार्थीयों में मानवाधिकारो के प्रति जागरूकता का अध्ययन
मानव को मानव बनाया शिक्षा ने परंतु शिक्षा एक मानव का अधिकार है। जिसे सिखाते वह समझाने का कार्य अगर किसी ने किया है, तो वह शिक्षक ही हो सकता है शिक्षक के बिना व्यक्ति का मार्गदर्शन नहीं हो सकता है। शिक्षक को यदि मानवाधिकार की शिक्षा से पूर्व में ही प्रशिक्षित कर दिया जाए तो वह भावी पीढ़ी को अधिकारों के संदर्भ में जागृत कर सकता है। अधिकारों की जागृति से शिक्षक अपने स्वयं के कर्तव्यों को तो अच्छी तरह से निभाएंगे ही वरन निभाने की प्रेरणा भी प्रदान करेंगे। मानवाधिकार की प्रतिष्ठा मानव कल्याण से ही संभव है, परंतु इसका रास्ता तय करने वाला सच्चा पथ प्रदर्शक शिक्षक होता है। जिससे परिवार समाज राष्ट्र को विश्व में अधिकारों की ऐसी अलख जगाई जिसे मानव का मन अंधकार मिट गया और मानव को अधिकार रूपी प्रकाश प्राप्त हो गया। मानवाधिकार शिक्षक को विद्यार्थी से वह विद्यार्थी को शिक्षक से और दोनों को राष्ट्र से जोड़कर विश्व कल्याण की सीमा का निर्धारण करते हैं। स्वयं प्लेटो ने लिखा है कि मानव अधिकार व अधिकार है जो मनुष्य जीवन उसके कर्तव्य एवं उसके व्यक्तित्व के लिए अनिवार्य है।