A CRITICAL ANALYSIS OF NATIONAL EDUCATION POLICY-2020

Under the leadership of Prime Minister Narendra Modi, the Union Cabinet approved the National Education Policy 2020 in July 2020 with the aim of paving the way for transformational change in education both at school and higher level. This policy will replace the 34 year old National Policy on ...

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किशोर विद्यार्थियों के सांवेगिक समायेाजन का अध्ययन

शिक्षा, मानव के गुणों को विकसित करने की प्रक्रिया है। इसके द्वारा मानव की अन्तर्निहित योग्यताओं को विकसित करके समाज का विकास किया जाता है। शिक्षा न केवल बालक को वातावरण से अनुकूलन करने में सहायता देती है। वरन् उसके व्यवहार में ऐसे वांछनीय परिवर्तन भी करती कि वह अपना एवं अपने समाज का कल्याण करने में ...

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दिव्यांगों के अधिकार एक विस्तृत परिप्रेक्ष्य

दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की यात्रा संघर्ष और दृढ़ संकल्प से भरी रही है। करुणा और दान के मॉडल से हटकर, अब हम मानवाधिकार और सामाजिक मॉडल की ओर बढ़ रहे हैं, जहाँ दिव्यांगता को विविधता के एक पहलू के रूप में देखा जाता है। भारत में RPwD अधिनियम, 2016 और UNCRPD जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों ने इस दिशा ...

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उच्च सांवेगिक समायोजन एवं निम्न सांवेगिक समायोजन वाले किशोर विद्यार्थियो की अध्ययन आदतों का अध्ययन

प्रस्तावना सूर्य का प्रकाश पाकर कमल का फूल खिल उठता है तथा सूर्य अस्त होने पर कुम्हला जाता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षा के प्रकाश को पाकर बालक कमल के फूल की भांति खिल उठता है। शिक्षा वह प्रकाश है जिसके द्वारा बालक की बौद्धिक, शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है। जाॅन डी.वी. के ...

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राजस्थान में समेकित बाल विकास परियोजना के क्रियान्वयन की स्थिति का अध्ययन

प्रस्तावनाः- बच्चें समाज के लिये सामाजिक पूँजी का आधार होते है। बच्चों का पालन-पोषण उसके माता-पिता की आर्थिक एवं सामाजिक जागरूकता पर निर्भर करता है। परन्तु लोकतांत्रिक देश मे यह जिम्मेदारी केवल माता-पिता पर ही नहीं अपितु राज्य पर भी है। इसलिये भारत के संविधान के अनुच्छेद 45 मे 0-6 वर्ष तक के ...

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कोटा संभाग में स्थित बहुविषयक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यरत सहायक आचार्यो की शिक्षण प्रभावशीलता का अध्ययन

प्रस्तावना किसी भी शिक्षा प्रणाली के उद्देश्यों की प्राप्ति में शिक्षक-विद्यार्थी एवं पाठ्यक्रम तीनों अव्यवों का अलग-अलग एवं सम्मिलित योगदान होता है। इनमें से एक की शिक्षा प्रणाली को अधूरा स्वरूप प्रदान करती है तथा एक का भी असहयोग होने पर शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति असंभव है। शिक्षण अधिगम ...

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