‘‘शिक्षा मनुष्य को न केवल संस्कारवान बनाती है। बल्कि व्यक्ति में सामाजिक गुणों का विकास करती है।‘‘ यह विचारधारा पौराणिक काल (वैदिक काल) से चली आ रही है। हमारे विचारों में हम जो आज हमारे आस-पास के वातावरण को देखते है तथा प्रौद्योगिकी एवं नवीन आविष्कारों से स्वयं को प्रभावित मानते है वह आज के ज्ञान ...
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