हाडौती की बावडिया निर्माण एवं तकनीक

SaveSavedRemoved 0

Author Name :- padma gupta,,

Journal type:- IJCRI-International journal of Creative Research & Innovation

Research Field Area :-  Arts and Humanities ; Volume 5, Issue 7, No. of Pages: 10 

Your Research Paper Id :- 2020070105

Download Published File :-  Click here

Abstraction :-

प्राचीन ग्रंथों में प्रत्येक गाँव या नगर में जलाशय होना आवश्यक बताया गया हैं। राजवल्लभ वास्तुशास्त्र के लेखक मण्डन ने भी बड़े नगर के लिए कई वाषिकाएँ, कुण्ड तथा तालाबों का होना अच्छा माना हैं। भारतीय धर्म में जलाशय निर्माण को एक बहुत बड़ा पुण्य कार्य माना गया हैं, किन्तु इस आध्यात्मिक भावना का भौतिक महत्व भी रहा हैं। क्योंकि जलाशय एक ओर सिंचाई के श्रेष्ठ साधन बनते थे, वहीं दूसरी ओर जन सामान्य को पेयजल की कठिनाई से मुक्त भी करते थे। शासक एवं उनके सामन्त जलाशय का निर्माण में पर्याप्त रूचि लेते थे।
जलाशयों में पाषाण की भित्तियाँ एवं घाटो का निर्माण हुआ करता था। इनके उपरी भाग में छतरियाँ बनी रहती थी और चारों ओर से या एक ओर से सीढ़ियाँ बनी रहती थी, जो नीचे तक पहुँच जाती थी। जलाशय के पास ही जलाशय की स्थापना के अवसर पर एक स्तम्भ लगाने की भी परम्परा रही हैं। यह स्तम्भ भी कलात्मक हुआ करते थे। स्तम्भ के उपरी भाग में मन्दिर के समान प्रायः वर्गाकृति में शिखर बना रहता था। शिखर के नीचे चारों ओर ताखें होती थी, जिनमें आराध्य देवताओं की प्रतिमाएँ उभारी जाती थी। ताकों में प्रायः गणपति की प्रतिमाएँ होती थी। ताकों के नीचे चतुष्कोणीय, षट्कोणीय अथवा षोडश स्तम्भ बने रहते थे। स्तम्भ के मूल भाग पर प्रायः जलाशय निर्माता से संबंधित व जलाशय निर्माण से संबंधित सूचनाओं का लेख भी उत्कीर्ण करवा दिया जाता था। बावडी के प्रवेश मार्ग में अलंकरण की दृष्टि से कतिपय आकृतियाँ उत्र्कीण की जाती रही हैं तथा बीच-बीच में प्रतोलियों (पालों) का निर्माण भी होता रहा।

Keywords :- 

प्राचीन ग्रंथों, हाडौती, बावडिया, तकनीक

References :-

1. डाॅ0 कालूराम शर्मा, डाॅ0 प्रकाश व्यास - राजस्थान का इतिहास, पृ.सं. 443-444, पंचशील प्रकाशन जयपुर, 1984
2. बून्दी ए सिटी आॅफ स्टेपवेल्स, ए सर्वे रिपोर्ट बाय द सिविल एड़मिनिस्टेªशन जिला बून्दी, 2006
3. भावल्दी बावड़ी का शिलालेख
4. आकृति - हाड़ौती कला विशेषांक, पृ.सं. 35 अंक जुलाई-सितम्बर, राजस्थान ललित कला अकादमी, जयपुर, 1997
5. डाॅ0 सूरज जिद्दी एवं विष्णु बहादुर - राजस्थान की बावड़ियाँ, पृ.सं. 6 पर्यटन विभाग कला एवं संस्कृति, राजस्थान सरकार, 1998
6. दधिमाता की बावड़ी का शिलालेख
7. डाॅ0 पीताम्बर चर्तुवेदी - बून्दी राज्य के ऐतिहासिक स्थल, पृ.सं. 150, राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर, 2008
8. पं. जगतनारायण - कोटा राज्य का इतिहास कृत डाॅ0 मथुरालाल शर्मा, पृ.सं. 91, राजस्थान ग्रन्थागार , जोधपुर, 2008

 

edusanchar.com
Logo